Tuesday 17 November 2015

ग़ज़ल 


भरे आलम में दीवाना बना डालाहै ,
उनकी आँखों ने ,उनकीआँखों का क्या कहिये !
मैं-औ -जाम हैं या मस्ती -ए -दफ़ीना -
जू-ए - ग़म्ज़ा हैं ,उनकी आँखों का क्या कहिये !
 तेज़-रौ-ए-रसा-ए दवा ,जू -ए बहशत ;
गर्दिशे रंगीन-ए-रब,उनकी आँखों का क्या कहिये !
हर शख़्श जो उनकी हल्क हाए-आँख से गाजर जाये -
कर सके न दावा ए वारस्तगी,उनकी आँखों का क्या कहिये !
"अटल" तो कितने ही जास्ती फरिश्तों को दीवाना बना डाला है
उनकी आँखों ने ,उनकी आँखों का क्या कहिये !

"अटल मुरादाबादी "

Sunday 25 January 2015

प्रिय  मित्रों ,
दिनांक २६-०१-२०१५ को "सनेही मंडल" नोएडा द्वारा गणतंत्र दिवस,राष्ट्रीय पर्व के शुभ अवसर पर  एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। विवरण निम्न प्रकार है।
कार्यकृम का समय           :   सायं ३:३० से ६:०० बजे
कार्यकृम स्थल               :   बी -१४२ ,सेक्टर -५२
आप सादर आमंत्रित हैं। कार्यकृम में सहभागिता कर सफल बनायें।

निवेदक
अटल मुरादाबादी
महामंत्री
सनेही मंडल
मोब. न० -९६५०२९११०८
 

Tuesday 20 January 2015

तुम्हारे ओठ हिलते  हैं ,जुबां से फूल झड़ते हैं।
तुम्हारी शौख़ नज़रों में समाया  ये ज़माना है।
हंसीं तुम हो ,जवां तुम हो ;तुम्हारी हर अदा तो क़ातिलाना है।
जिधर भी देख लो भरकर निगाहें ,क़यामत ही क़यामत है।
दवा भी हो गयी है बे-असर ये कैसी गफलत है। 
'अटल' को कर गयीं घायल तेरी दिलकश अदाएं।
ख़ुशबू से तेरे बदन की ,महकीं--- फ़िज़ाएं।
क्या खूब्सूरत हैं तुम्हारी झील सी आँखें --
दरिया-ए- सुकूँ का मौज़ूँ औरों पे लुटाती आँखें।
                            "अटल मुरादाबादी"